यदि मैं कहूं कि ट्रेडिंग की दुनिया में सबसे आकर्षक और अत्यधिक निर्मम सामग्री ऑप्शन ट्रेडिंग है तो यह अतिशयोक्ति नही होगी। आकर्षक इसलिए कि यह प्रत्येक परिस्थिति में ट्रेडर को लाभ उठाने का अवसर प्रदान करता है, चाहे मार्केट बुलिश हो या चाहे बेयरिश मार्केट हो। यह कम लागत मे ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध है साथ ही साथ कम लागत मे अधिकतम लाभ कमाने के अवसर भी प्रदान करता है।
निर्मम मै इसलिए कहूँगा क्योंकि यह हानि के लिए भी सभी दरवाजे खोल रखे हैं। यह जटिलताओं से भरा पड़ा है, इसके साथ ऑप्शन ट्रेडिंग की प्रकृति ट्रेडर के लिए लालच, डर और भ्रम की स्थिति बनाता है। जिसमे ट्रेडर आसानी से फंस जाता है। यह एक लत है जो अच्छी और बुरी दोनों हो सकती है। यह ट्रेडर की मानसिक दशा पर निर्भर करती है।
“मैंने कहीं पढ़ा था कि – ऑप्शन ट्रेडिंग मे ट्रेडर कि सफलता 40% ट्रेडिंग का ज्ञान और 60% ट्रेडिंग साइकॉलजी पर निर्भर करता है।”
ऑप्शन ट्रेडिंग एक कांट्रैक्ट बेस्ड ट्रेडिंग और इसको समझने के लिए पहले एक उदाहरण को देखते हैं –
मुंबई मे कहीं एक बिल्डर मल्टी स्टोरी बिल्डिंग बना रहा है। वहाँ पे फ्लैट खरीदने और बेचने के लिए उपलब्ध है। अब ट्रेडिंग की दो स्थिति बनती है पहली बायर की और दूसरी सेलर की। पहले हम खरीददार का भाग देखते हैं।
खरीददार (Buyer) –
खरीदार विक्रेता से एक कांट्रैक्ट करता है। जिसमे वह तय तारीख (Expiry Date) तक 50 लाख (Strike Price) प्रति फ्लैट के हिसाब 25 (Lot Size) फ्लैट खरीदेगा। उसके लिए उसने एक टोकन रकम (Premium) विक्रेता को देता है। अब खरीददार को लाभ तभी होगा जब तय समय मे फ्लैट का प्राइस 50 लाख से 55 लाख हो जाए। यदि फ्लैट की कीमत 55 लाख हो जाती है तो उसे 5 x 25 = 1 करोड़ 25 लाख – टोकन रकम का फायदा होगा। लेकिन फ्लैट का दाम 50 लाख से 45 लाख हो जाए तो वह बाध्य नहीं है कि उसे फ्लैट खरीदने ही होंगे। वह सौदे को खारिज कर देगा, उसका अधिकतम घाटा मात्र वही होगा जो उसने टोकन रकम दी थी। खरीददार के लाभ की संभावना असीमित होती है, किन्तु हानि एक निश्चित रकम की हो सकती है।
विक्रेता (Option Writer) –
अब हम विक्रेता का पॉइंट समझते हैं। विक्रेता खरीदार से एक कांट्रैक्ट करता है। जिसमे वह तय तारीख (Expiry Date) तक 50 लाख (Strike Price) प्रति फ्लैट के हिसाब 25 (Lot Size) फ्लैट देगा। उसके लिए वो एक टोकन रकम (Premium) खरीददार से लेता है। अब विक्रेता को लाभ तभी होगा जब फ्लैट की कीमत 50 लाख से कम हो या 50 लाख ही हो। उसका अधिकतम लाभ वो टोकन की रकम होगी जो उसने खरीददार से लिया है। उसका अधिकतम घाटा असीमित है। क्योंकि यदि फ्लैट की कीमत 60 लाख हो गयी तो, वो तय समय तक बाध्य है कि उसे खरीदार से मौजूदा कीमत पे सौदा करना होगा।
ऑप्शन ट्रेडिंग के मुख्य घटक :
कॉल ऑप्शन (CE):
यह स्टॉक कि कीमत बढ़ने पे बढ़ता है और स्टॉक कि कीमत घटने पे घटता है।
पुट ऑप्शन (PE) :
यह स्टॉक कि कीमत बढ़ने पे घटता है और स्टॉक कि कीमत घटने पे बढ़ता है।
स्ट्राइक प्राइस (Strike Price) :
स्ट्राइक प्राइस (Strike Price) ऑप्शन ट्रेडिंग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह वह निश्चित कीमत है जिस पर एक ऑप्शन खरीदार को किसी स्टॉक को खरीदने (कॉल ऑप्शन के मामले में), या बेचने (पुट ऑप्शन के मामले में) का अधिकार मिलता है।
स्पॉट प्राइस (Spot Price) :
स्टॉक इस समय जिस कीमत पे है।
प्रीमियम :
अलग अलग स्ट्राइक प्राइस मे कॉल ऑप्शन और पुट ऑप्शन के प्राइस को कॉल और पुट प्रीमियम कहा जाता है।
ऑप्शन ग्रीक्स (Option Greeks) :
यह डेल्टा, थेटा, गामा, वेगा और रोहो से मिलकर बना है। यह प्रीमियम के प्राइस मे होने वाले बदलाव को नियंत्रित करता है।
एक्स्पायरी डेट (Expiry Date) :
यह तय सौदे कि निर्धारित समय है। जिस दिन सभी तय सौदे समाप्त कर दिये जाएंगे।
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